भारतीय दंड संहिता की धारा 31, जो कि सह-भागिता और साझा उद्देश्य के सिद्धांत पर आधारित है, न्यायिक प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभाती है। यह सुनिश्चित करती है कि अपराध में शामिल सभी व्यक्तियों को उनके योगदान के आधार पर न्याय मिले, चाहे उनकी भूमिका कितनी भी छोटी क्यों न हो।
समय के साथ-साथ सामाजिक और कानूनी परिवर्तनों को देखते हुए, धारा 31 में भी समय-समय पर व्याख्यात्मक संशोधन होते रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कानून में लचीलापन होना कितना महत्वपूर्ण है ताकि यह बदलते परिदृश्यों के अनुरूप बना रहे।
No comments:
Post a Comment